The person whose inborn intelligence takes the form of acquired intelligence and is integrated, then that person reaches the highest peak of success in the society. VMIT report helps with this.
Inborn VS Acquired intelligence?
2) What is inborn intelligence?
Inborn intelligence is about the natural abilities you’ve had since birth. These talents stay with you throughout your life, representing your true self. When you tap into this intelligence, you can achieve recognition easily, and it sparks creativity and personal fulfillment without much effort.
2) What is acquired intelligence?
Acquired intelligence includes the skills and knowledge you gain from education and experience. This is often related to your career and external achievements. While it can lead to recognition, it usually comes with a lot of hard work, financial investment, and sometimes a bit of luck. Even if you succeed, you might still feel a bit restless or unfulfilled.
जन्मजात और अर्जित क्षमता ?
Inborn intelligence - जन्मजात बुद्धि (Inborn intelligence) - यह वह क्षमता है जो जन्म से मृत्यु तक हमारे साथ रहती है. यह आपके जीवन का स्वाभाविक और आंतरिक रूप है. इसकी मदद से आपको प्रसिद्धि पाने के लिए कड़ी मेहनत नहीं करनी पड़ती. यह लगातार नई चीज़ों का सृजन करती रहती है. आप इससे जुड़े सभी काम आंतरिक सुख के लिए करते हैं.
Acquired intelligence -अर्जित बुद्धि (Acquired intelligence ) - आज आपका आप की पढाई/पेशेवर जीवन/सामाजिक स्थिति/नौकरी/व्यवसाय अर्जित बुद्धि से जुड़ा है. यह कृत्रिम है. यह आपके जीवन का बाहरी रूप है.अर्जित बुद्धिमत्ता में वे कौशल और ज्ञान शामिल होते हैं जो आप शिक्षा और अनुभव से प्राप्त करते हैं यह अक्सर आपके करियर और बाहरी उपलब्धियों से जुड़ा होता है हालाँकि इससे आपको पहचान मिल सकती है, लेकिन इसके लिए आमतौर पर कड़ी मेहनत, परिवार की आर्थिक स्थिति और कभी-कभी थोड़ी किस्मत की भी ज़रूरत होती है अगर आप सफल भी हो जाते हैं, तब भी आप थोड़ा बेचैन या अधूरा महसूस कर सकते हैं.
VMIT ( Vaidik Multiple Intelligence Test )
Note:- ग्रह (planets) इनके गुरुत्वाकर्षण (Gravitational force) और ब्रम्हाड आकाशगंगा (Galaxy ) में स्थित अनेक तारों (star's ) से निकलने वाले अल्फ़ा, बीटा, गामा किरणों का प्रभाव हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र (Brain - Neurons) पर पड़ता है . जन्म के वक्त पड़े हुए उसी एस्ट्रोनोमिकल इफेक्ट को आधार बनाकर यह हमारे रिपोर्ट बनाए गए है . हमारा रिपोर्ट जन्म समय, दिनांक, स्थल के आधार पर बनाया जाता है . विस्तार से समझने के लिए हम वैदिक ज्ञान (ज्योतिष) का जो हिस्सा मनोविज्ञान और सायन्स* से सलग्न है, सिर्फ उन बातों पर हम विचार करेंगे.
एक बहुत आसान तरीके से, उदाहरण के माध्यम से समझें ....
उदा:- जैसे किसी भी धातु को पिघलाकर, जब नवनिर्माण होता है, उस वक्त भट्टी से बाहर निकलते ही बाहरी परिस्थितियों के कारण पहली बार बॉड स्ट्रक्चर बनता है, हार्डनेस तय होता है, बाद में अनेक साल में बाहरी वातावरण /एनवायरनमेंट (रेगिस्थान / बारिश /ठण्ड / बर्फ / कीचड़ ) के प्रभाव से उस का हार्डनेस / बॉन्ड स्ट्रक्चर बदलता है - यह विज्ञान कहता है. यही उदाहरण इंसान के लिए भी लागू है.
विज्ञानं कहता है की माँ के पेट में गर्भजल में बच्चा होता है तब एटम बम के एटॉमिक रेडिएशन का भी कम प्रभाव पड़ता है. लेकिन हमारा शरीर, माँ के गर्भजल के सुरक्षित माहौल से बाहर आता है, तब उसपर बाहर के सभी माहौल (ग्रहों और तारों की गुरुत्वीय शक्ति ) का प्रभाव पड़ता है और बच्चे का व्यक्तित्व (बॉन्ड स्ट्रक्चर) बनता है,
भविष्य में उसी प्रकार का सकारात्मक कोण (angle) वाला माहौल मिलता है, तब तब व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से काम करता है. उस गोचर की ग्रहों के सकारात्मक डायरेक्शन को ही हम नसीब कहते है.( सकारात्मक परिस्थिति में मानव उत्तेजित होता है, नकारात्मक परिस्थिति में निराश होता है अथवा नेचरल परिस्थिति में स्थिर रहता है , उस के परिणाम स्वरूप एक ही परिस्थिति/ समस्या में वह अलग-अलग निर्णय ले सकता है. उसी निर्णय के परिणामों को लोग नसीब मानते है. )
विज्ञानं कहता है कि मानव शरीर में भी लगभग 60 प्रतिशत जल होता है
मस्तिष्क 80 प्रतिशत जल स्वरूप है,
रक्त में 55 प्रतिशत जलस्वरूप है,
खून में लोहा (आयरन) होता है.
इस सभी परिस्थिति के कारण, बाहरी आकर्षण बल (गुरुत्वाकर्षण शक्ति) का हमारे शरीर में आसानी से सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम होते है. यह विज्ञान ने भी मान्य किया है .
VMIT ने भारतीय और विदेशी जोतिष शास्त्र के सिर्फ जो हिस्से 100 % सायन्स के साथ मेल खा रहें है, उन सभी का उपयोग करते हुए, अपने संशोधन के आधारपर, यह रिपोर्ट बनाने की कोशिश की है. उदा.(कुंडली में ग्रहों के बीच डिग्री ), सर्वकालिन सत्य (ग्रह के सभी गुण/ नक्षत्र/ राशि) नाड़ी ज्योतिष .
हमारा रिपोर्ट एस्ट्रोलोजी से जुड़ा है, लेकिन कुंडली के कैलकुलेशन्स और ग्रह परस्पर सम्बन्ध या मार्क्स देने के लिए हम ने 100 % सायन्स के नियमों को (Gravitational force &....etc.) महत्व दिया है. सिर्फ ग्रह और नक्षत्र के गुणधर्म यह पारम्पारिक वैदिक ज्योतिषशास्त्र से लिए है. निरयन, चलित कुंडली और पाश्च्यात्य कुंडली, नाडी ज्योतिष और KP पद्धति का मेल कैलकुलेशन में किया है. NASA ने किये अवकाश संशोधन को भी हम ने आधार बनाया है.
रिपोर्ट लेने से पहले यह समझ लो की यह रिपोर्ट आप का नसीब नहीं बताती. तो आप को प्रकृति (भगवान) ने दी हुई जन्मजात सभी क्षमता, वृत्ति और प्रवृत्ति को बताती है, यही क्षमताएं जो आगे चलकर आप को तरक्की देती है. उसे हम नसीब कहते है . उस में आप अपने कर्म /प्रयत्न से परिवर्तन कर सकते है. पॉवरफुल क्षमताओं को कण्ट्रोल करना है, और कमजोर को मजबूत करना है. तब हम नसीब को बदल सकते है.
रिपोर्ट समझने के 5 गोल्डन नियम .(साधारण भाषा में )जिस के बिना VMIT रिपोर्ट समझ में नही आएगा.
1. VMIT रिपोर्ट पढ़ने के लिए, लैपटॉप का उपयोग करो या प्रिंट निकालकर पढ़िए. मोबाइल पर रिपोर्ट पढ़ने की कोशिश करने वालों को यह रिपोर्ट 1% भी नहीं समझ में आएगा .
2. आप की आँखें बंद करने के बाद, आप अपने आप को जो पहचानते हो, जो महसूस करते हो, जानते हो, आप का मूल स्वभाव दिखता है,... वहीं VMIT रिपोर्ट बताता है. अथवा आप अपनी क्षमता के अनुकूल, तथा जैसे अन्दर हो, वैसी ही प्रतिक्रिया करते हो, उसी नेचरल सोच को दर्शाने वाला यह VMIT रिपोर्ट है.
3. जब कभी आप आप अपना रेगुलर कार्य क्षेत्र/ नौकरी / बिजनेस से हटकर, सहजता से, नैसर्गिक पद्धति से, किसी कार्य / कौशल / रूचि / क्षमता का प्रदर्शन करते हो और आप को उस प्रदर्शन से ख़ुशी महसूस होती है, उन्ही सारी बातों को इस VMIT रिपोर्ट में बताया जाएगा. जोआप के उस वर्तमान जीवन से मेल खाएगी .
4. यह रिपोर्ट सिर्फ अपनी जन्मजात क्षमताओं (Inborn intelligence) को समझने में मदद करता है. उस में आप की अर्जित बुद्धिमत्ता (Acquired intelligence) ढूंढने की गलत / कोशिश न करें .
5. लेकिन यदि कोई पारिवारिक दबाव से या मजबूरी वश अथवा सिर्फ फायदा देखकर किसी व्यवसाय को स्वीकारता है और उस के अनुकूल नकली अथवा कृत्रिम बर्ताव करते है, अपने आप को अलग दिखने की कोशिश करता है तो यह रिपोर्ट सिर्फ उस मामले में आप से मेल नहीं खाएगा.
वैदिक सायन्स का समर्पक उदाहरण- एकादशी (11 तिथि )
D) पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता ही ज्वार-भाटा की उत्पत्ति का प्रमुख कारण हैं. चन्द्रमा का ज्वार-उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दुगुना होता है, क्योंकि वह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है.
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन (180 अथवा 0 डिग्री ) चन्द्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं, तो उच्च ज्वार उत्पन्न होता है. दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केंद्र पर समकोण बनाते हैं,(90 डिग्री) इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण बल एक-दुसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं तो निम्न ज्वार उत्पन्न होता है.
और एकादशी के दिन (120 डिग्री ) संतुलन बना रहता है. मानवी शरीर पर भी उस का प्रभाव होता है.( इस लिए उसे पवित्र शुभ दिन माना जाता है. लेकिन उस के पीछे सायन्स है.)
A) मानवी जीवन ,सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण और आकाशगंगा (गैलेक्सी)
आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है. दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है. कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहते है.
B)पृथ्वी जैसे सूरज की चारो ओर चक्कर लगाती है, उसी प्रकार, सूर्य भी उस से भी बड़े तारे की चारो ओर चक्कर लगाता है. वह तारा उस के जैसे करोड़ो तारों के साथ आकाशगंगा के चारो ओर चक्कर लगाता है, हमारी आकाशगंगा जैसी अनेकों आकाशगंगा ब्रम्हाड में है, उन का आपस में संतुलन एक दूसरे के/संतुलित गुरुत्वीय बल के कारण होता है.
c) आकाशगंगा (गैलेक्सी) कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की अगर हमारे पूरे सौर मण्डल के चक्र के क्षेत्रफल को एक रुपये के सिक्के जितना समझ लिया जाए तो उसकी तुलना में आकाशगंगा का क्षेत्रफल भारत का डेढ़ गुना होगा.(पृथ्वी मानो एक रेत का कण हो.)